Kumar Vishwas Poetry references
Kumar Vishwas - क्या सुन कर झूम उठे मोरारी बापू | गंगोत्री 2018
Kavita refrences quoted by Kumar Vishwas
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई
Kabir Das
रहीम दास (1556 - 1627)
निगाहें मिला ने को जी चाहता है by Morari bapu
सुखिया सब संसार है by Kabir Das
Yogi bhi hai jinke saran jinke anasakta dehi
jai jai raja janak punya dehi videhi
(full poem link not found yet)
114. सवैया
बंसी बजावत आनि कढ़ौ सो गली मैं अली! कछु टोना सौ डारे।
हेरि चिते, तिरछी करि दृष्टि चलौ गयौ मोहन मूठि सी मारे।।
ताही घरी सों परी धरी सेज पै प्यारी न बोलति प्रानहूं वारे।
राधिका जी है तो जी हैं सबे नतो पीहैं हलाहल नंद के द्वारे।।114।।
(Poem link credit - Karamjit Singh Gathwala)