धर्म और कर्म
एक बार डाकूंओ ने एक नौटंकी वाली को अपने मनोरंजन के लिए बुलाया. खुश हो कर डाकूंओ ने उसे बहुत धन दिया. नौटंकी वाली कुछ ही दूर गयी थी की डाकू आ गए, उसे मारा-पीटा और धन लूट कर ले गए. वो वापस डाकूंओ के सरदार के पास गयी और बोली, सरदार अगर लूटना ही था तो दिया ही क्यों, और पिटाई भी क्यों की?
सरदार ने कहा - तुम्हे तुम्हारी मेहनत के पैसे देना हमारा धर्म था, और तुम्हे लूटना हमारा कर्म था.
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